1. स्थानान्तरी कृषि अथवा स्थानान्तरणीय कृषि कृषि का एक प्रकार है जिसमें कोई भूमि का टुकड़ा कुछ समय तक फसल लेने के लिये चुना जाता है और उपजाऊपन कम होने के बाद इसका परित्याग कर दूसरे टुकड़े को ऐसी ही कृषि के लिये चुन लिया जाता है। पहले के चुने गये टुकड़े पर वापस प्राकृतिक वनस्पति का विकास होता है। आम तौर पर १० से १२ वर्ष, और कभी कभी ४०-५० की अवधि में जमीन का पहला टुकड़ा प्राकृतिक वनस्पति से पुनः आच्छादित हो कर सफाई और कृषि के लिये तैयार हो जाता है
झूम कृषि भी एक प्रकार की स्थानान्तरी कृषि ही है। इसके पर्यावरणीय प्रभावों को देखते हुए भारत के कुछ हिस्सों में इस पर प्रतिबन्ध भी आयद किया गया है।
2. जीविका कृषि कृषि करने का एक प्रमुख प्रकार हैं। कृषि के इस प्रकार में खाद्यान्न के उत्पादन में कृषक अपने एवं अपने ऊपर निर्भर परिवार भरण-पोषण के लिए करते है, तथा उपभोग के बाद इतना भी अनाज नहीं बचा पाते है, की बेच सके इस प्रकार की कृषि को "जीविका कृषि" कहा जाया है.
3. व्यापारिक कृषि एक प्रकार की खेती है जिसमें फसलों को केवल व्यावसायिक उपयोग के लिए उगाया जाता है। यह खेती का एक आधुनिक तरीका है जो बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस प्रकार की खेती में बड़ी भूमि, श्रम और मशीनों का उपयोग किया जाता है। एक्वापॉनिक्स खेती व्यावसायिक खेती का सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि इस खेती में हम एक ही कृषि प्रणाली में पौधों और मछलियों को विकसित कर सकते हैं। तो यह हमारी उत्पादन लागत को कम कर सकता है और खेती के हमारे लाभ को बढ़ा सकता है। कृषि के वाणिज्य करण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग है उदाहरण के लिए हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्य की एक फसल है परंतु ओड़िशा में यह एक आजीविका फसल है। रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है इस प्रकार की खेती में लंबे चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के बीच एक अंतरा पृष्ठ(Interface) है।
4. सघन कृषि या 'सघन खेती' या सघन सस्यन (Intensive farming) कृषि उत्पादन की वह प्रणाली है जिसमें कम जमीन में अधिक परिश्रम, पूँजी, उर्वरक या कीटनाशक आदि डालकर अधिक उत्पादन लिया जाता है। इसमें एक ही भूमि पर वर्ष में कई फसलें बोयी जाती हैं।
विस्तृत आकार वाली जेतो के बड़े -बडे़ खेतों पर यांत्रिक निधियों से की जाने वाली कृषि को विस्तृत कृषि के अंतर्गत शामिल किया जाता है। इस प्रकार की कृषि में लेवर का उपयोग कम होता है किन्तु प्रति व्यक्ति उत्पादन की मात्रा अधिक होती है
जब फसलों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो इसे मिश्रित कृषि या मिश्रित खेती (Mixed farming) कहते हैं। जब एक बार में एक से अधिक फसल एक जगह पर उगाया जाता है तो उसे मिश्रित फ़सल कहते हैं।
फसलोत्पादन के‚ साथ-साथ जब पशुपालन भी आय का स्रोत हो तो ऐसी खेती को मिश्रित खेती कहते हैं।
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1 वर्तमान में भारत के GDP में कृषि क्षेत्र का 17.1% योगदान है, जबकि 1950-51 में कृषि क्षेत्र का योगदान 55.40 % था
2 भारत में कृषि क्षेत्र का 60% भाग पूर्णत: वर्षा पर निर्भर है
3 भारत में कृषि क्षेत्र के GDP का 0.3 % भाग कृषि शोध पर खर्च किया जाता है
4 प्रथम कृषि गणना 1970 ई0 में की गयी थी
5 न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारक कृषि लागत एवं मूल्य आयोग है
6 एक हेक्टेअर से कम भूमि वाले किसान को सीमांत किसान कहा जाता है
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1 रेशम उत्पादन में चीन का प्रथम और भारत का द्वितीय स्थान है और साथ ही साथ रेशम के उपभोग में भारत का प्रथम स्थान है
2 तम्बाकू के उत्पादन में चीन का प्रथम तथा भारत का तीसरा स्थान है, तथा तम्बाकू के उपभोग में चीन का प्रथम स्थान है
3 भूमिगत जल के सिंचाई हेतु उपयोग को सम्भव बनाने के लिये लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत किया जाता है
4 भूमिहीन कृषकों एवं श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु RLEGP (Rural-Landless Employment Guarantee Programme)कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया
5 किसान कॉल सेंटर का उद्देश्य कृषि समबंधी सलाहकारी सेवा उपलब्ध कराना है
6 केंद्रिय आलू अनुसंधान संसथान को 1956 ई0 में शिमला स्थानांतरित किया गया था
7 भारत की कुल सिंचित भूमि का 36% भाग नहरों द्वारा सिंचित है
8 भारत में कृषि क्षेत्र के 40% भाग में सिंचाई की सुविधा आसानी से उपलब्ध है
9 1966 में भारतीय कृषि के प्रति हेक्टेअर उत्पादकता को बढाने के लिये के उद्देशय से HYVP (Hybrid Yielding Varieties Programme)योजना चलायी गयी
10 दालों का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य महाराष्ट्र है
11 भारत में कॉफी का सबसे अधिक उत्पादन कर्नाटक में होता है, जबकि विश्व में सबसे अधिक कॉफी का उत्पादन ब्राजील में होता है
12 प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है
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